इससे बड़ा पुरस्कार क्या होगा ! |
प्रिय सायना तुम्हें पिछले वर्ष की शानदार सफलताओं के लिए बधाई और शुक्रिया।
शुक्रिया इसलिए की तुम भारत में खेल की मोनोपोली को तोड़ने में
सफल हुयी हो। तुम्हारी सफलता का शानदार जश्न इसलिए भी जरूरी है कि तुमने भारतीय समाज
में यह उपलब्धियां हासिल कीं हैं जिसमें लड़कियों को अपने समुचित स्थान के लिए लड़ना
पड़ता है। तुम हम सबके लिए प्रेरणा हो। लेकिन आज जब तुम्हें संकोच, नाराजगी
और अपमान की किंचित मिश्रित भावनाओं के साथ पद्म पुरस्कारों के लिए गुहार लगते सुना
तो कुछ अच्छा नहीं लगा। इसलिए नहीं कि तुम इनके योग्य नहीं हो । बेशक तुम्हारी उपलब्धियों
की तुलना पद्म से बेहतर और किस्से कर सकते हैं । आखिर इस कीचड़ जैसे समाज में तुम कमल
ही तो हो लेकिन मैं तुम्हें सूर्य के समान भारतीय टेनिस की पताका विश्व में फहराते
देखना चाहता हूँ और इसके लिए यह जरूरी है कि तुम भारतीय पुरस्कारों की राजनीति के कीचड़
से ऊपर उठ कर प्रशस्त आसमान में एक हंसिनी की तरह अपने डैनों की ताकत आज़माओ । पद्म
की तरह बस कीचड़ में खिलो भर मत, जकड़ी ना रहो उन गैर जिम्मेदार
परजीवियों कि गंदगी में जिन्होंने इन पुरस्कारों पद्म नहीं पंक बना दिया है ।ये पुरस्कार
तुम्हारी उपलब्धियों से कहीं छोटे हैं इसलिए मत गिड़गिड़ाओ इन क्षुद्र पुरस्कारों के
लिए । तुम पुरस्कारों से नहीं ये पुरस्कार तुमसे हैं । इस खेल राजनीति के पंक ने ना
जाने कितने पद्म लील लिए हैं ....तुम दूर रहो ...बस खेलो .....खिलौना ना बनो।
तुम्हारा प्रशंसक
अनुपम दीक्षित
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