कच्छ
नहीं देखा तो कुच्छ नहीं देखा
गाजियाबाद स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार |
यात्रा की तैयारी और प्रस्थान: मेरे श्वसुर जब से रिटायर हुये हैं अपने अधूरे
सपनों को पूरा करने के मिशन पर हैं। वर्षों तक राज्य कर विभाग की शुष्क नौकरी करने
के बावजूद जिंदगी में रस वे खोज ही लेते हैं। इस मिशन का आरंभ उनकी अंडमान यात्रा
से हुआ था। उसकी प्लानिंग में मैंने सहयोग किया था। उसी दौरान कच्छ के रण उत्सव का
प्रचार किसी अखबार में निकला तो उनहोने वहाँ भी नव वर्ष मनाने की ठान ली। अब इतनी
यात्रा की प्लानिंग आप करेंगे तो मन में कुबुलाहट तो होने ही लगेगी ना सो मेरे मन
में भी कच्छ देखने की लालसा जाग उठी। फिर तीन दिन टेंट में बिताने की बात ही कुछ
और है। पर जाने आने और ठहरने में कुल 7 दिन चाहिए थे और भला आजकल की जिंदगी में
इतनी बड़ी छुट्टी के बारे में सोचना ही अपने आप में एडवेंचर स्पोर्ट जैसा है। मन
फिर भी वहीं लगा रहा। पत्नी भी डॉक्टर है और 7 दिन की छुट्टी मुश्किल है। तो लगभग
आइडिया ड्रॉप ही कर दिया था की तभी चाचा जी कानपुर से सपरिवार आए हुये थे। बातों
बातों में चर्चा पापा जी की यात्राओं की योजनाओं पर चल पड़ी तो जैसा की होना था आनन
फानन में उनहोने भी कच्छ देखने की इच्छा व्यक्त कर डाली। चर्चा हुयी और तय पाया
गया की 7 दिन की छुट्टी किसी भी तरह हासिल और प्रबंधित की ही जाए। चाचा जी ने फौरन
अपने ट्रेवेल प्लानर को फोन करके 6 ट्रेन टिकट गाजियाबाद से भुज आला हज़रत
एकक्स्प्रेस से बुक करने का आदेश दे डाला। फिर क्या था। मैंने भी अगली साप्ताहिक
छुट्टी में दिल्ली कनाट प्लेस में स्थित गुजरात टूरिज़म के दफ्तर पहुँच कर टेंट बुक
करा ही दिये।एसी टेंट का किराया 9500 रुपये प्रति व्यक्ति था और साथ में प्रत्येक यात्री की
फोटो और मुख्य लोगों का पहचान पत्र आवश्यक था। एक टेंट 2 व्यक्तियों के लिए है और
अतिरिक्त बिस्तर के लिए 4500 रुपये और लगेंगे। यह एक महंगा सौदा लगा। इसके बाद
शुरू हुयी छुट्टियों की प्लानिंग। जैसे तैसे कर के हम सब ने छुट्टियों की प्लानिंग
कर ही डाली। बीच में एक वह भी पल आया जब लगा कि अब कोई नहीं जा पाएगा। पर आखिर
अमिताभ की पुकार ही भारी पड़ी। इस बीच मैंने इन्टरनेट, गूगल मैप,
यात्रा डॉट कॉम आदि स्रोतों से भुज के मौसम,
होटल और दर्शनीय स्थलों की वास्तविकता के बारे में कुछ जानकारी हासिल कर ली। मेरा
यात्रा के विषय में यह विश्वास है कि होटलों का चुनाव करते समय अगर आप 5 स्टार के
व्यसनी नहीं हैं तो सबसे पहले राज्य टूरिज़म के होटलों को देख लेना चाहिए। ये होटल
ना केवल अच्छी जगहों पर स्थित होते हैं बल्कि सस्ते,
ठीक ठाक सेवा वाले होते हैं। जिन राज्यों का टूरिज़म विभाग बहुत अच्छा है उनमें
मुझे सबसे बढ़िया केरल और गुजरात ही लगा। लेकिन भुज में GTDC
(Gujarat Tourism Development Corporation) का कोई होटल नहीं था अतः GTDC
की
वेब साइट पर ही सुझाए गए एक होटल प्रिस रेसिडेन्सी को चुन लिया। मेरा एक ममेरा भाई
भी भुज में 4 वर्षों तक रह चुका था अतः उससे भी जानकारी ले ली गई।उसके अनुसार ही दिन में आप एक स्वेटर या कोट के साथ काम चला सकते हैं लेकिन रात में तापमान 14 डिग्री के करीब पहुँचने पर आपको जैकेट आदि की जरूरत पड़ती है। भुज में हवाएँ तेज़ चलतीं हैं इसलिए टोपी और मफ़लर भी आवश्यक हैं। बच्चों के लिए विशेष तौर पर। बच्चे साथ में
थे और मौसम ठंडा था अतः हम यात्री धर्म की एक शर्त निभाने में नाकाम रहे - सीमित
सामान। हमारे और पापा जी के मिला कर कुल 14 अदद हो चुके थे और गाजियाबाद स्टेशन पर
कुली नहीं मिलते हैं यह सोच कर मैं थोड़ा परेशान था। अतः ड्राइवर के साथ ही ऑफिस
में काम करने वाले गुड्डू को भी साथ ले लिया गया। ट्रेन 10:50 AM
पर
थी और हम ठीक 10 बजे स्टेशन पर पहुँच गए। इसका एक कारण यह भी था कि मैंने सभी को
ट्रेन का समय 9:50 एएम बता रखा था। 31 दिसंबर
2012 को गाजियाबाद स्टेशन घने कुहासे में ढका था। स्टेशन की गंदगी,
बू और भीड़ से जूझते हमने आखिरकार सारा सामान एक जगह लगा लिया। अब शुरू हुआ ट्रेन
का इंतज़ार और जैसी कि स्वाभाविक ही था ट्रेन तय समय से 1 घंटा विलंब से पहुंची। A-1
और
B-2 बोगी में हमारी सीटें थीं। सारा सामान जमा कर
हम भी अपनी सीटों पर जम गए और ट्रेन चल पड़ी।
आला हज़रत एक्स्प्रेस से सूर्यास्त |
“वोह ट्रेन
सी गुजरती है मैं पुल सा थरथराता हूँ”
ट्रेनों और स्टेशनों पर मुझे हमेशा ही अच्छा लगता
है। शायद आप महसूस कर सकें कि स्टेशन की आवाजें,
बू, स्टाल, यात्रियों
की भीड़ और चहल पहल, पीली और सफ़ेद रोशनियाँ,
एनाउंसमेंट सब कुछ मिल जुल कर कैसा माहौल बनाते हैं। कम ही होंगे जिनहोने ट्रेन की
खिड़की से बाहर पटरियों का तेज़ खेल ना देखा हो। ती इन्हीं विचारों में खोया जागा पहुँच
गया गुजरात के शहर भुज।
4 टिप्पणियां:
आपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
धन्यवाद श्री विर्क जी मेरी पोस्ट को चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए।
उम्दा यात्रा विवरण |
आशा
धन्यवाद आशा जी। अभी अधूरा है। पूरा पढिएगा।
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