1 फ़र॰ 2012

आ इक नया शिवाला इस देश में बना दें

अल्लामा इकबाल कि यह नज़्म रबबनी बंधुओं ने फिर गायी है। इकबाल का एक देश प्रेमी से एक विभाजनकारी में बदलाव एक ऐसा प्रश्न है जिसे आज हर एक इतिहासकार को खोजना चाहिए। क्यूंकी इसके उत्तर में ही हमें वे विष बीज मिल पाएंगे जो आज दोनों मुल्कों में फल फूल रहे हैं। बेशक आज का पाकिस्तान न तो जिन्नाह और ना ही इकबाल का पाकिस्तान है। और ना ही आज का भारत अब गांधी और भगत सिंह का भारत है।
इस गाने से परिचय के लिए मैं रेडियो वाणी का आभारी हूँ।

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