विचार पक्षियों जैसे होते हैं। मस्तिष्क के विशाल और अनंत फलक पर वे बादलों की तरह अचानक आते हैं, आकृतियाँ बदलते हैं, पक्षियों की तरह मँडराते हैं और फिर दूर कहीं गुम हो जाते हैं। बाज़ीचा-ए-अत्फाल है दुनियाँ मेरे आगे, होता है शब ओ रोज़ तमाशा मेरे आगे। इन्हीं तमाशों पर जो विचार आकार लेते हैं उन्हें पकड़ने का प्रयास है यह चिट्ठा। आपको अच्छा लगे तो एक लघु चिप्पी चस्पा करना ना भूलें।
एक साधरण पत्थरबाज दो राजनीतिक दलों की सत्ता की हवस के चलते अब एक अलगाववादी नेता बन चुका है और पाकिस्तानी हीरो भी। इधर घोर राष्ट्रवादी देशभक्त लोगों को भी अपनी देशभक्ति दिखाने का मौका मिल गया है ।
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