9 नव॰ 2016

नोट 2 : नए नोट और पुराना मानव

मोदी जी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुये 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया । उनके अनुसार यह काला धन , नकली मुद्रा और आतंकवाद के खिलाफ उठाया कदम है । मीडिया और आम जनता इस फैसले से परेशान और मुदित दोनों है। अभी तक मोदी की भूरी भूरी प्रशंसा करने वाले लेकिन काले धन के रखवाले अब बुझे मन से इसे महान फैसला बता रहे हैं तो समाज का निचला तबका दबी ज़ुबान से इस परेशानी की आलोचना कर रहा है । आइए देखें की असल तस्वीर क्या है 

ऐतिहासिक फैसला : यह तो इतिहास बताएगा की फैसला ऐतिहासिक है या नहीं लेकिन अगर मोदी जी नरसिम्हा राव - मनमोहन सिंह की तरह आर्थिक इतिहास में अपना नाम लिखना चाहते हैं तो उन्हें शायद निराशा ही हाथ लगे क्योंकि ये पहला मौक़ा नहीं है जब बड़े नोट बंद किए गए हैं. साल 1946 में में भी हज़ार रुपए और 10 हज़ार रुपए के नोट वापस लिए गए थे. फिर 1954 में हज़ार, पांच हज़ार और दस हज़ार रुपए के नोट वापस लाए गए. उसके बाद जनवरी 1978 में इन्हें फिर बंद कर दिया गया. इस प्रक्रिया के उस समय के परिणामों के बारे  में खोजने पर मुझे BBC की साइट पर एक दिलचस्प बात पता लगी । उस वक़्त के रिज़र्व बैंक के गवर्नर आई जी पटेल सरकार के इस फ़ैसले के पक्ष में नहीं थे. उनके मुताबिक़ जनता पार्टी की सरकार के ही कुछ सदस्य मानते थे कि पिछली सरकार के कथित भ्रष्ट लोगों को निशाना बनाने के लिए ये क़दम उठाया गया है. इंडिया टुडे पर एक लेख में यह भी इंगित किया गया था की यह कदम जनता सरकार ने कांग्रेस को चंदे का कैश चुनावी अभियान में खर्च न करने देने के लिए उठाया था।  गवर्नर पटेल ने तत्कालीन वित्त मंत्री को सुझाव दिया था कि इस तरह के फ़ैसलों से मनमाफ़िक परिणाम कम ही मिलते हैं. काले धन को नक़द के रूप में बहुत कम लोग लंबे समय तक अपने पास रखते हैं. पटेल के मुताबिक़, सूटकेस और तकिए में बड़ी रकम छुपाकर रखने का आइडिया ही बड़ा बचकाना किस्म का है और जिनके पास बड़ी रक़म कैश के तौर पर है भी वो भी अपने एजेंट्स के ज़रिए उन्हें बदलवा लेंगे.
फायदे : मोदी जी के इस कदम का सकारात्मक पक्ष भी हैं 
1- नकली करेंसी : इस कदम से नकली करेंसी के खिलाफ एक प्रभावी हमला हुआ है । नए नोटों की नकल करने और उन्हें खपाने में कुछ समय लगेगा और यह महंगा भी होगा। सरकार को इसके साथ ही नकली नोटों को ट्रेस करने का प्रभावी तंत्र विकसित करना होगा। 
2।- आतंकवादियों को फंडिंग : इस कदम ने आतंकियों की फंडिंग को कुछ समय के लैये रोक दिया है । लेकिन देश में बैठे ऐसे प्रभावी लोग जो इन आतंकवादियों को फंड कर रहे हैं उन्हें भी खतम करना होगा । अनेक नेता और उद्योगपति और काला धन अजेंट इस तंत्र में शामिल हैं । 
3- अघोषित धन : काला धन जो बिना टैक्स चुकाए लोगों के पास रहता है । यद्यपि यह नकदी में नहीं रहता । लोग काले धन को तुरंत ही रियल एस्टेट या सोने की खरीद में लगा देते हैं । नोटों को रातों रात बंद करने से इसका एक बहुत छोटा तात्कालिक हिस्सा है वही बाहर होगा । बाकी बड़े खिलाड़ीयों के पास इसके अनेक विकल्प मौजूद हैं। पिछली रात भर भारत के अमीरों ने सोने की खरीददारी की है इससे सोने के ब्लैकमार्केट में भाव इस समय तक 44000 से ऊपर पहुँच चुके हैं। 
4- अपराध और नशे के व्यापार का पैसा भी बाहर होगा। 

समस्या क्या है : इस कदम से सबसे अधिक परेशानी कुछ समय के लिए उस व्यक्ति को हो रही है जो छोटा मोटा काम करता है और अपना नकद पैसा अपने पास रखता है । जैसे थोक, किराना, सब्जी विक्रेता, आढ़ती, परचून, बेकरी, टेलर, ट्यूशन इत्यादि। इससे छोटी बचतें भी प्रभावित होंगी जैसे कमेटी, किटी या ऐसे ही अन्य साधन। इससे ऐसे लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे जिंका बैंक में खाता नहीं है । उनके कैश को ले कर समस्या पैदा होने वाली है क्योंकि उनका नकद पैसा दरअसल उनकी रोजाना की जिंदगी का सहारा है । अगर इसमें एक भी दिन की देरी होती है तो उनके खाने पीने की समस्या पैदा हो जाती है 

क्या असली काला धन बाहर आएगा ? इसमें शक है । बड़े व्यापारी, रिश्वतखोर अधिकारी, नेता अपना पैसा नकद नहीं रखते । आज उनके पास अनेक विकल्प हैं । ऑफशोर कंपनियाँ, विदेशों में खाते , सोना, चैरिटी, रियल एस्टेट, बेनामी सौदे, आभूषण इत्यादि। इसलिए यह पैसा वापस मिलने से रहा। हाँ अगर इस कदम के साथ ही ऐसी नीतियाँ बनायीं जातीं जो इन सौदों पर रोक लगा सकतीं तो बेहतर था। आपने चुनावों के दौरान सुना होगा की एक गाड़ी से करोड़ों रुपये पकड़े गए। यह पैसा राजनीतिक पार्टियों का पैसा होता है जो कभी खुल कर सामने नहीं आता। अगर इस कदम के बावजूद आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों में नेता हैलीकॉप्टर और रथों का प्रयोग करें और विशाल रैलियाँ हों तो समझिए इस सर्जिकल स्ट्राइक का भी वही असर हुआ है जितना पाकिस्तान पर। जब सरकार ने पार्टीसीपेटारी नोट बंद करने की कोशिश की थी जो अवैध धन का शेयर मार्केट में निवेश का एक चैनल है तब शेयर बाज़ार की हलचलों से परेशान हो कर यह कदम सरकार को वापस लेना पढ़ा था। हमारे शेयरा बाज़ार में एफ़आईआई निवेशक इसी माध्यम से पैसा लगते हैं और इसके जरिये भारतीय भी अपना काला धन सफ़ेद करते रहते हैं । इन सभी तरीकों में से किसी पर रोक नहीं लगने वाली और यही वह काला धन है जिसका आकार अविश्वसनीय है ! 

इस कदम के सीमित आर्थिक फायदे हैं लेकिन राजनीतिक फायदे बहुत हैं और यह मोदी का मास्टर स्ट्रोक है। 

  • मोदी पर जो लोग काले धन को लेकर दोगलेपन का आरोप लगा रहे थे वे अब हमेशा हमेशा के लिए चुप बैठ जाएंगे क्यूंकी इससे बड़ा कदम और क्या होगा। 
  • उत्तर प्रदेश चुनाव सर पर हैं अब विरोधी दलों के पास कैश खत्म हो गया है। 
  • आतंकवादी और देशविरोधी गतिविधियां अगर थमेंगी नहीं तो धीमी तो जरूर पढ़ेंगी और आजकल के हालात में यह एक राहत वाला कदम है। 
  • उत्तर प्रदेश चुनाव में यह न केवल एक मुद्दा होगा बल्कि चुनाव इसी के आसपास केन्द्रित किया जाएगा । 


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