8 फ़र॰ 2015

बीजेपी की (प्रसव) वेदना : दिल्ली

भारत की राजनीति जिस तरह का स्वरूप ले चुकी है वह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में तो असमर्थ है ही बल्कि देश कू विशाल जनसंख्या को बेहतर अवसर, सुखद जीवन और सुरक्षा प्रदान करने में भी असफल रही है। इन चुनौतियों के लिए 20वीं शती के समाजवाद, पूंजीवाद या साम्यवाद आज उपायुक्त नहीं हैं । आज ज़माना एक की रोटी छीन कर दूसरे को खिलाने का नहीं है बल्कि ऐसी व्यवस्था करने का है जिसमें ना केवल रोटियाँ सभी के लिए पर्याप्त हों बल्कि कोई भूखा भी ना रहे । यह रोटियाँ बनाने का समय है ....सैंकने का नहीं । आप ईवेंट मैनेजमेंट से जनता को भरमा तो सकते हैं लेकिन भ्रम देर तक नहीं चलता । लोकतन्त्र की लोकप्रिय परिभाषा देने वाले अब्राहम लिंकन के एक और कथन को याद रखा जाना चाहिए ---- You can fool all the people some of the time, and some of the people all the time, but you cannot fool all the people all the time. (सभी लोगों को कुछ समय के लिए तो उल्लू बनाया जा सकता है और कुछ लोगों को हर समय उल्लू बनाया जा सकता है लेकिन सभी लोगों को सदा के लिए उल्लू नहीं बनाया जा सकता )  । 

बीजेपी की लोकसभा यात्रा जिन विकासवादी वादों और नारों के साथ शुरू हुयी थी उसने जनता में विकास की आशाएँ जागा दीं । जिस गुजरात मॉडल की घनी चर्चा थी वह अब गायब है । नौ महीनों जनता बिजली, पानी, स्वस्थ्य और शिक्षा की बात का इंतज़ार कर रही है लेकिन सुनाई पड़ रहा है "घर वापसी", "लव जिहाद", 4,6,8,10 बच्चे पैदा करने की सीख और रामजादे जैसी ओछी बातें। इन नौ महीनों का जमा हासिल कुछ विदेश यात्राओं और खुद को विश्व नेता स्थापित करने की असफल कोशिश के अलावा कुछ नहीं है । सरकार चुप है, मंत्री चुपचाप हैं, केवल प्रधानमंत्री जी मुखर हैं। बस यही वजह है की दिल्ली में नौ महीने के इंतज़ार के बाद पूरे देश , महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू में लगातार जीत के बाद अब दिल्ली में "अपवाद" स्वरूप "आप" की सरकार बनी है ।

बेशक बराक ने सही कहा है "भारत में आपस में लड़ कर विकास नहीं पैदा नहीं हो सकता"  यह तो आपस के प्यार से ही पैदा होगा।

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-02-2015) को "प्रसव वेदना-सम्भलो पुरुषों अब" {चर्चा - 1884} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'